Right to information,Rajasthan

शिक्षक मित्र सुख राम ईनाणियाँ जी कलम से.. 

12 अक्टूबर एक खास दिवस कभी कभार लगता है कि हमेँ आजाद हुए कितने वर्ष हो गये है तो मेँ 1947 से आज तक बीते समय की गणना करने लग जाता हूँ पर यह क्या मैँ गिनते गिनते बीच मेँ ही रुक जाता हूँ मुझे लगता है कि मैँ कहीँ भ्रम मैँ तो नही जी रहा हूँ आंख मुंह धोता हूँ होश मेँ आता हूँ और अपने आप को गुलाम ही पाता हुँ शायद कभी कभार मेँ 1947 मेँ गोरे अंग्रजों द्वारा काले अंग्रेजों को की गई सता हस्तांतरण को आजादी मान बैठा था तब तब गिनती करने लगा ।

इस सता हस्तांतरण की इमारत को लोकतंत्र का नाम देने के लिए इसके चार पैर (खंभे)भी लगाये गये यह दिखाने के लिए कि मजबूती मेँ कोई कमी नहीँ है कार्यपालिका है न्यायपालिका है विधायिका है और मीडिया भी ।
पर जब जब कोई देशवासी होश मेँ आया उसने यह तंत्र पंगु ही पाया चार पैर हुए तो क्या सब मेँ दीमक लगी मिली नेताजी हो या अफसर जज हो या लोकतंत्र के प्रहरी बन बैठा मीडिया …माया की माला ही जपता नजर आया ,.देश को दरिया मेँ डूबाता ही नजर आया ।

पर जाने किस देशभक्त की आत्मा एक दिन के लिए इन भूतों मेँ घुस आई और लोकतंत्र का पांचवा कहेँ या पहला ठीक रहेगा ..स्तंभ जन्म ले चुका था सूचना का अधिकार अधिनीयम 2005

पिछले कुछ सालों से यानी 2005 से जब से आरटीआई कानून अस्तित्व मेँ आया लगने लगा बळद की नाथ हाथ मेँ आई है ..कस कर पकङ लेँगे पकङे रहेँगे तो बळद हमारा ही रहना है सूचना के अधिकार ने हताश लोगों के दिलों मेँ उजाला भर दिया हैपर कुछ ही लोग है जो हताशा से उबर पाये है क्यूंकि अधिकार का उपयोग ही ना किया जाय तो फिर उजाला कैसे होना है

इस अधिनियम के तहत प्रावधान रखा गया कि सरकारी या सरकारी अनुदान प्राप्त ऐजेन्सियां जो भी जनहित या देशहित मेँ कार्य करेँ उसकी पूरी जानकारी भारत के हर एक नागरिक को होनी चाहिए ….हां कश्मीर की बात तो आप जानते ही है ….

जानकारी प्राप्त करने और जानकारी देने की बाध्यता संबंधी नियम ही इसको लोकतंत्र का सच्चा प्रहरी बनाता है मैँ तो कहना चाहुंगा मेरे मित्रौं से ..कि अगर आप के दिल मेँ सच मेँ देशप्रेम उमङ रहा है अव्यवस्था देखकर आपकी आंखेँ सच मेँ नम हो रही है आप देश और समाज के लिए सच मेँ कुछ करने की चाहत रखते है तो छोङिये फलां नेता जिँदाबाद .फलां नेता मुर्दाबाद छोङिये धरना छोङिये बंदछोङिए किसी राजनैतिक पार्टी विशेष की अंध भक्ती लीजिए संकल्प देश की सेवा काइसके लिए समर्पण भाव से जीने का और लीजिए सिर्फ एक सफेद कागज एक पेन ।

आप को जब भी लगे फलां सरकारी कार्यालय मेँ क्या हो रहा है क्या नहीँ सही हो रहा है या गलत सबंधित जानकारी के लिए सक्षम सूचना अधिकारी को लिख दीजिए सादे पन्ने पर सिर्फ दस रू का पोस्टल आर्डर टैग कर दीजिए …आप खुद जाइये या वाया डाक पहुंचाइये आप द्वारा चाही ग इ सूचना आपको 30 दिन मेँ मिल जायेगी ..देनी ही पङेगी देरी की तो साहब को 250 रू रोज की पेनल्टी 25000 तक जुर्माना फिर भी पीछा ना छुटेगा देनी ही होगी ।

आपके जागरुक होते ही भ्रष्टाचार घोटाले यह सब जीव मुर्छित से हो जायेँगे लाख टके की बात आप जागो तो सही ..इस पांचवे खंभे के पक्षधर बनो तो सही ।
और अब इस तकनीकी युग मेँ बहुत जल्द आप आनलाइन आवेदन भी कर सकेँगे ..पर वो भी करना पङेगा अपने आप तो नहीँ ।

सूचना के अधिकार के प्रचार प्रसार के लिए सरकार के साथ मीडिया का योगदान भी अपेक्षित है फेसबुक भी कमाल का योगदान दे सकती है ।

जिन मित्रौं को केवल जयकारे लगाने का शौक है लगाते रहे ..जिनको देश की चिँता है आरटीआई लगाते रहे ।

हमारे मित्र डा अशौक जी चौधरी के नेतृत्व मेँ अभिनव राजस्थान अभियान आरटीआई के प्रचार प्रसार को बढावा देने मेँ सुंदर प्रयास कर रहा है । आप भी जुङिये ..शंका समाधान भी दूर हो जायेगी …और संगठन की शक्ति से लोकतंत्र भी स्थापित कर पायेँगे ।
वन्दे मातरम ।

दयानंद सारस्वत जी कलम से.. 

हम हवाओं में ‘सूचना के अधिकार दिवस’ की खुशबू बिखेर देंगे. कोई बेहोश हो तो हो !

मित्रों, 12 अक्टूबर आज को आप जहाँ भी रहें,
अपने मित्र समूह के साथ असली लोकतंत्र का महापर्व “सूचना का अधिकार’ दिवस मनाएं। दो-चार-पांच हों या दस या सौ. संख्या से ज्यादा जज्बा मायने रखता है ।

इस महापर्व की सभी मित्रो को हार्दिक शुभकामनाएं

रचनात्मक ढंग से. बिना चूक. कोई मित्र न चूके !

 

भरतराम कस्वां जी कलम से.

इस देश के मालिक यानी कि आम नागरिक को सरकारी फाइलों में बेरोकटोक झांकने और विशेष रूप से प्रतिया लेने के साथ ही निरीक्षण करने का अधिकार देने वाले सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं.

डॉ. अशोक चौधरी (अभिनव राजस्थान अभियान) जी कलम से.

2005 में आज ही के दिन, यानि 12 अक्टूबर को भारत में लोकतंत्र का अब तक का सबसे महत्वपूर्ण कदम उठा था. सूचना के अधिकार ने पहली बार भारत के आम नागरिक को उसके अपने शासन के बारे में सभी जानकारियां चाहने का अधिकार दिया था. बहुत ही सरल तरीके से.

पिछले बारह वर्षों में सूचना के सिपाहियों ने देश के भीतर इस अधिकार की पालना और रक्षा के लिए बहुत संघर्ष किया है. संगठित स्वार्थी तत्वों के खिलाफ काम करना काफी कठिन होता है, जब जनता में जागरूकता की कमी हो. तमाशा पसंद, जय जयकार में मस्त, गुलाम मानसिकता की कौम के बीच रहकर ‘अधिकार’ और जिम्मेदारी की बातें करना बड़ी चुनौती होती है.

लेकिन अधिकार के बावजूद उसका इस्तेमाल करने से आज भी भारत की और राजस्थान की अधिकांश जनता बचती है. डरती है. क्यों ? पांच कारण- पहला, गुलामी की मानसिकता. अभी भी अपने शासन के होने का भान नहीं है, आभास नहीं है. अभी भी जनता और मीडिया इसका राज और उसका राज कहती है. जब राज ही अपना नहीं तो क्यों चिंता करें. उस पर व्यवस्था में जमे स्वार्थी तत्वों का आतंक. तीसरे संगठन की कमी. चौथा, प्रशिक्षण की कमी. और पांचवां कारण, मीडिया और न्यायपालिका की उदासीनता. चौथा और तीसरा स्तम्भ, पहले और दूसरे के रंग में रंग हुआ ! अलग नहीं दिखा, जैसा अपेक्षित था.

अभिनव राजस्थान अभियान, इन पाँचों कारणों से आमजन को उबरने में लगा है. अपने साथियों के संगठन और प्रशिक्षण के साथ ही सूचना के अधिकार को जनसमर्थन दिलवाने में अभियान पिछले छः वर्षों में बहुत कामयाब रहा है. हम सूचना के अधिकार का इस्तेमाल अपने लक्ष्य- अभिनव राजस्थान के लिए वर्तमान व्यवस्था को जानने और नई व्यवस्था की रचना के लिए कर रहे हैं. ऐसे में इस अधिकार का ठीक से उपयोग आना हमारे साथियों के लिए जरूरी है.

इस अवसर पर अभियान के सभी साथियों और शुभचिंतकों को धन्यवाद, शुभकामनाएँ.

 

Donate blood, save a life

राजकीय चिकित्सालय , नागौर

जैसे जैसे इन्सान तरक्की के रास्ते पर बढ़ता गया, जीवन से जुडी हर समस्याओ को जाना और इसको दूर करने के लिए नित नये आविष्कार भी किये लेकिन जीवन रूपी इस शरीर को चलाने के लिए हमे जिस रक्त की आवश्यकता पड़ती है उसे न तो इन्सान बना सकता है और न ही बना पाया है लेकिन यह सच है की किसी भी इन्सान के अंदर रक्त की कमी को दुसरे इन्सान के रक्त से पूरा किया जा सकता है

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अपने गाँव थलांजू के रक्तदाता लक्ष्मण घंटियाला ने स्वैछिक रक्दान करके और गाँव के युवाओं को संदेश देने का कार्य किया है, भाई को दिल से सलूट आगे भी इसी तरह रक्तदान करते रहे एवं साथियों को समय समय पर प्रेरित करने का कार्य करते रहे |

हम सभी जवानों को इस कार्य को समय समय पर करते रहना चाहिए जिससे शरीर में नए ब्लड का निर्माण होता है,कई विशेषज्ञों ने माना है ब्लड डोनेट करने से दिमाग सार्फ़ एवं सकारात्मक होता है |

जय हिन्द